दिवाली रौशनी और मिठाइयों का त्यौहार है। जब भारतीय अंतर्राष्ट्रीय छात्र ASU आने के लिए भारत छोड़ते हैं, तो वे अपने परिवार के साथ इस खूबसूरत त्यौहार का जश्न नहीं मना पाते।
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को घर के करीब जागृत कराने के उद्देश्य से, ASU के भारतीय छात्र संघ (ISA) ने ‘झंकार’ का आयोजन किया. यह उत्सव 2 नवंबर को टेम्पी के सेनिटा बॉलरूम में शाम के ७ से ९ बजे हुआ था। बहुत से भारतीय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों ने उल्लास के साथ इसमें भाग लिया।
"इधर जो फ़ैमिली बनायी है, उन लॉगों के साथ दिवाली मनाने का जो फ़न था वो बहुत अलग था," देविका कदम, एक ग्रेजुएट छात्रा जो बिज़नेस एनालिटिक्स की पढ़ाई कर रही हैं, ने कहा।
उत्सव में नृत्य और संगीत की बहुत सारी प्रस्तुतियाँ हुई । यह सब ISA ने अपने एडवाइज़र्स अपर्णा राव और नितिन वालिया की मदद से योजना बनाई थी ।
"हम अपने स्टूडेंट्स को एक मंच दे रहे हैं, जहां पे वो अपनी संस्कृति...प्रदर्शन कर सकें," नितिन वालिया ने कहा ।
कार्यक्रम की शुरुआत अनुष्का मडिवाले और मैत्रेयी देशमुख द्वारा की गई हास्य मेज़बान से हुई। उन्होंने ISA के अध्यक्ष सुखरुत राव और एडवाइज़र्स का परिचय कराया, जिन्होंने भाषण देकर ISA की आशय को पूरी तरह समझाया ।
भाषणों के बाद, ASU के भारतीय प्रभावित नृत्य समूहों ने दर्शकों के लिए प्रदर्शन किया। उन्होंने बॉलीवुड के गानों पर नृत्य किया जिससे दर्शकों को ऐसा महसूस हुआ जैसे वे भारत में हों।
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ASU के संगीत दल ने भी स्टेज पर आकर जैसे आग लगा दी हो। उन्होंने दो बार अपनी प्रस्तुति की, किंतु दर्शकों ने उन्हें एक बार और गाने पर मजबूर ही कर दिया ।
मडीवाले के अनुसार, एक बार जब आप ISA का हिस्सा बन जाते हैं, तो आप हमेशा ISA में रहते हैं । इसे ध्यान में रखते हुए ISA के पूर्व छात्रों ने एक नृत्य भी प्रस्तुत किया जिसका दर्शकों ने खूब आनंद उठाया।
कार्यक्रम का समापन इसमें भाग लेने वाले सभी लोगों के चेहरों पर मुस्कान के साथ हुआ। सेनिटा बॉलरूम के बाहर, उन्हें बिरयानी की खुशबू आई, जिस्से उन्हें त्योहारों के सबसे अच्छे हिस्से: भारतीय भोजन की याद दिला दी।
"दिवाली मेरा सबसे चहिता त्यौहार है। मुझे पटाके चलाने का बहुत शौक है," राव ने कहा । उन्होंने यह भी बताया कि वह हर साल दिवाली, परिवार और पड़ोसियों के साथ पटाके चलाकर मानती हैं।
मडीवाले ने कहा कि यह पूरा आयोजन समुदाय को एक साथ लाता है, और यह छात्रों को यह याद दिलाने के लिए किया जाता है कि वे ASU में अकेले नहीं हैं।
This story was edited by two students who are not employed by The State Press.
Edited by Sanah Parekh, Ishita Ranjan and Lavanya Paliwal.
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Kasturi is a sophomore studying journalism. This is her second semester with The State Press. She has her own blog and has worked in creative writing.